भोपाल
केंद्रीय जांच यूरो (सीबीआइ) ने एम्स ऋषिकेश(AIIMS Rishikesh) में 16 बेड वाले कोरोनरी केयर यूनिट (सीसीयू) के निर्माण में करोड़ों की गड़बड़ी का मामला दर्ज किया है। इसमें एम्स भोपाल के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के सह प्रोफेसर डॉ. राजेश पसरीचा को भी आरोपी बनाया हैं। हालांकि डॉ. पसरीजा ने आरोप को खारिज कर दिया है।
ये है मामला
जानकारी के अनुसार वर्ष 2017 में एम्स ऋषिकेश के सीसीयू निर्माण के लिए 8.08 करोड़ रुपए दिल्ली की कंपनी मेडिक डिवाइसेस को भुगतान किए गए। आरोप है कि संस्थान के तत्कालीन निदेशक और प्रोयोरमेंट ऑफिसर डॉ. पसरीचा ने उपकरणों की आपूर्ति व स्थापना का झूठा प्रमाणपत्र जारी किया था। सीबीआइ जांच में सामने आया कि 1.76 करोड़ रुपए से ऑटोमैटिक स्लाइडिंग डोर, गैस पाइपलाइन सिस्टम, डिफिब्रिलेटर, एयर प्यूरीफायर और अन्य उपकरण लगाए ही नहीं गए। वहीं 97 लाख के सिविल वर्क में भी हेराफेरी हुई। 2.73 करोड़ रुपए के गबन की पुष्टि हुई।
डॉ. राजेश पसरीचा ने आरोपों को किया खारिज
सीबीआइ ने मामले में एम्स ऋषिकेश के पूर्व निदेशक डॉ. रविकांत, डॉ. राजेश पसरीचा और स्टोर कीपर रूप सिंह पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है। मामले को लेकर डॉ. राजेश पसरीचा ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मुझ पर सीबीआइ ने झूठा आरोप लगाया है। यह आठ वर्ष पुराना मामला है, जिसे अब उठाया जा रहा है।