भोपाल: भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के भोपाल स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में मीडिया सहायक की भर्ती को लेकर पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए हैं। 22 जुलाई 2025 को जारी विज्ञापन में 23 जुलाई 2025 को ही वॉक-इन इंटरव्यू बुला लिया गया है, जिससे कई योग्य अभ्यर्थियों को आवेदन का अवसर ही नहीं मिल पाया।
NHAI कार्यालय की इस जल्दबाज़ी पर सवाल यह उठ रहे हैं कि आखिर ऐसा क्या कारण था कि एक दिन पहले ही सूचना देकर अगले दिन इंटरव्यू कराना जरूरी हो गया ? इस विषय में जब भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों से पूछा गया तो उन्होंने इसे “दिल्ली मुख्यालय से आया आदेश” बता दिया।
सूचना संपर्क नंबर भी बंद
चौंकाने वाली बात यह है कि विज्ञापन में दिए गए कार्यालय के लैंडलाइन नंबर पर लगातार संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन वह लगातार बंद मिला। इस पर जब कार्यालय से बात की गई तो अधिकारियों ने इसका ठीकरा बीएसएनएल पर फोड़ दिया। उनका कहना है कि बारिश और खुदाई के कारण लाइन खराब हो गई है। पर सवाल यह है कि आखिर हर बार यही नंबर बंद क्यों मिलता है?
प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल
इस पूरे घटनाक्रम ने सरकारी भर्तियों की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है। जब एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्था इतनी अहम पोस्ट के लिए एक दिन में विज्ञापन निकालकर इंटरव्यू करवा रही है, तो यह प्रक्रिया कितनी न्यायसंगत है, इस पर चिंतन आवश्यक है।
इंदौर-देवास जाम और न्यायालय का हस्तक्षेप
सूत्रों का मानना है कि यह नियुक्ति केवल एक साधारण भर्ती नहीं बल्कि हालिया घटनाओं से बिगड़ी एनएचएआई की छवि को सुधारने का प्रयास हो सकती है। जानकारों की माने तो इस इस भर्ती की पृष्ठभूमि 27 जून 2025 को इंदौर-देवास हाईवे पर लगभग 8 किलोमीटर लगा लंबा भारी जाम हो सकता है, जिसमें करीब 3 लोगों की मौत हो गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जाम के कारण करीब 4,000 गाड़ियां फंसी रहीं, एंबुलेंस तक रास्ता नहीं निकाल सकी, और यातायात पूरी तरह ठप हो गया। इस त्रासदी के बाद मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एनएचएआई को नोटिस जारी किया, और जवाब तलब किया गया। घटना के बाद एनएचएआई की कार्यप्रणाली और जनहित के प्रति उसकी जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल उठे।
छवि सुधार की कवायद या दिखावा ?
सूत्रों की मानें तो वर्तमान में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की छवि बुरी तरह प्रभावित हुई है और इसके चलते मीडिया की नकारात्मक रिपोर्टिंग में वृद्धि हुई है। ऐसे में एक दिन में मीडिया सहायक की भर्ती का निर्णय महज़ संयोग नहीं, बल्कि छवि प्रबंधन (image management) का रणनीतिक प्रयास माना जा रहा है। विज्ञापन की जल्दबाज़ी, सूचना का अभाव, और संवादहीनता यह बताने के लिए काफी है कि कहीं न कहीं यह पूरी प्रक्रिया एक तत्काल संकट-प्रबंधन योजना का हिस्सा हो सकती है।
वही भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) जैसी राष्ट्रीय संस्था की छवि और कार्यप्रणाली पर उठे ये प्रश्न केवल एक भर्ती तक सीमित नहीं हैं। यह पूरे सिस्टम की जवाबदेही और पारदर्शिता पर चोट करते हैं। क्या यह भर्ती वास्तव में योग्यता आधारित नियुक्ति होगी या केवल ‘क्लीन इमेज’ की मीडिया ब्रांडिंग इसका उत्तर समय और RTI से ही सामने आएगा। दरआसल भर्ती प्रक्रिया को लेकर अब कई अभ्यर्थी सोशल मीडिया और आरटीआई के माध्यम से जवाब मांगने की तैयारी कर रहे हैं। यह देखना होगा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) इस संदेह को कैसे स्पष्ट करता है।




