कटनी/विजयराघवगढ़: भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता और विधायक संजय पाठक के लिए आज का दिन बेहद अहम और निर्णायक साबित होने जा रहा है। नगर परिषद अध्यक्ष पद के लिए विजयराघवगढ़ में हो रहा चुनाव सिर्फ एक सामान्य स्थानीय निकाय चुनाव नहीं, बल्कि इसे पाठक की राजनीतिक साख की अग्निपरीक्षा माना जा रहा है।
कभी क्षेत्र की जनता की आंखों का तारा रहे संजय पाठक हाल के दिनों में कई विवादों से घिरे रहे हैं। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या विजयराघवगढ़ की जनता अपने पुराने नेता पर एक बार फिर भरोसा जताती है या विवादों के चलते राजनीतिक अस्वीकार्यता की ओर बढ़ते पाठक को नकार देती है।
चुनाव में संजय पाठक की प्रतिष्ठा दांव पर
इस चुनाव की खास बात यह है कि यह न केवल नगर परिषद का चुनाव है, बल्कि यह तय करेगा कि संजय पाठक की पकड़ अब भी क्षेत्र में वैसी ही मजबूत है या समय के साथ वह कमजोर पड़ी है। विरोधियों द्वारा उठाए गए सवालों और विवादों की गूंज ने पाठक की राजनीति को घेरा है, और आज का परिणाम यह साफ कर देगा कि जनता ने उनके समर्थन में वोट दिया या नहीं।
लोकसभा-विधानसभा से भी रोचक मुकाबला
स्थानीय राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विजयराघवगढ़ का यह चुनाव इस बार विधानसभा और लोकसभा चुनावों से भी ज्यादा रोचक और अहम हो गया है। भाजपा के लिए यह सीट न केवल प्रतिष्ठा का सवाल है, बल्कि 2028 विधानसभा चुनाव की रणनीति का हिस्सा भी बन सकती है।
क्या संजय पाठक लहरा पाएंगे ‘गढ़’ में परचम?
विजयराघवगढ़ का ऐतिहासिक किला सिर्फ स्थापत्य की दृष्टि से नहीं, बल्कि अब राजनीतिक दृष्टिकोण से भी चर्चा में है। अगर संजय पाठक की पसंद का उम्मीदवार चुनाव जीतता है, तो यह उनके लिए एक बड़ी राहत होगी, लेकिन हार की स्थिति में उनकी राजनीतिक यात्रा को तगड़ा झटका लग सकता है।
अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या संजय पाठक अपने ही गढ़ में एक बार फिर राजनीतिक परचम लहराने में सफल होंगे या फिर विवादों के बोझ तले उनकी साख ढह जाएगी।